श्री हरीश दुदानी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर और विधि में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1992 में दिल्ली न्यायिक सेवा में कार्यभार ग्रहण किया और दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवा में उन्नत हुए। न्यायिक सेवा के दौरान, वे विभिन्न पदों अर्थात् मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट/सिविल जज/स्पेशल रेलवे मजिस्ट्रेट/अपर प्रमुख मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट/जज, लेबर कोर्ट/जज, मोटर दुर्घटना दावा न्यायधिकरण/अतिरिक्त डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन जज/स्पेशल जज (सीबीआई)/डिस्ट्रिक्ट जज (कमर्शियल कोर्ट)/प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 सहित सिविल एवं अपराधिक विधियों के विभिन्न विषयों पर अधिनिर्णित मामले, बौद्धिक संपत्ति अधिकार, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, कमर्शियल कोर्ट अधिनियम 2015 इत्यादि में विभिन्न पदों पर रहे।
उन्होंने दिल्ली राज्य विधिक सेवा अधिकरण में विशेष ड्यूटी पर अधिकारी के रूप में भी कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने दिल्ली में सभी न्यायालय परिसरों में साथ-साथ बैंक मामलों के लिए प्रथम पेपरलेस लोक अदालत आयोजित की और दिल्ली राज्य की वितरण कंपनियों के विद्युत मामलों, वित्तीय संस्थाओं, मोटर दुर्घटना दावों, परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881, यातायात चालानों, अपराधिक समाधेय मामलों, सिविल मामलों इत्यादि से संबंधित अनिर्णित एवं पूर्ववादकारी मामलों के लिए लोक अदालतें आयोजित की। उन्होंने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग के सहयोग से संबद्ध विभिन्न बालगृहों और पूरी दिल्ली की बाल कल्याण समितियों के निरीक्षणों को भी आयोजित किया। उन्होंने गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय में विधिक सहायक क्लीनिक खोलने, स्कूली बच्चों के लिए विधिक साक्षरता कार्यक्रम, दिल्ली की एनसीटी की सरकार के मौजूदा नेटवर्क अर्थात् जेण्डर रिसोर्स केन्द्रों, मिशन कनवर्जेंस के अधीन कार्य कर रहे सामाजिक सेवा केन्द्र के माध्यम से दिल्ली की जनसंख्या तक पहुंचने के लिए प्रक्रिया में पहल की। उन्होंने महिला अधिकारों, अभिभावकों और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों, शिक्षा के अधिकार, असंगठित कामगारों के अधिकार, ट्रांसजेण्डर के अधिकार, विधि विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम तैयार करना, पैरालीगल वॉलंटियर (पीएलवी) के रूप में सामाजिक कार्यकर्ताओं का पैनल तैयार किया और उनके प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम जैसे विषयों पर राष्ट्रीय विधिक सेवा अधिकरण के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर सेमीनार आयोजित करने में योगदान दिया और विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए। दिल्ली पुलिस के किशोर कल्याण अधिकारियों के लिए द्विमासिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए।
उन्होंने जिला न्यायालयों के विभिन्न मध्यस्थता केन्द्रों पर मध्यस्थ के रूप में कार्य किया और भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सौंपे गए मामलों में मध्यस्थता भी की। मध्यस्थता के क्षेत्र में, वर्ष 2007 से उन्हें कई मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रमों, रेफरल जज सेंसटाइजेशन कार्यक्रमों, में मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति, भारत के सर्वोच्च न्यायालय (’एमसीपीसी’) द्वारा रिसोर्स व्यक्ति/वरिष्ठ प्रशिक्षक के रूप में नामित किया गया, देश के विभिन्न भागों में प्रशिक्षक कार्यक्रमों में प्रशिक्षण और प्रशिक्षक कार्यक्रम में उन्नत प्रशिक्षण के रूप में नामित किया गया। वर्ष 2008 में, एमसीपीसी द्वारा नामित किए जाने पर, उन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान, नई दिल्ली के लिए अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र के सहयोग से प्रभावी विवाद समाधान केन्द्र, यूके द्वारा आयोजित प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देने के कार्यक्रम में उपस्थित हुए। एमसीपीसी द्वारा नामित किए जाने पर सटराज इंस्टीटयूट आफ डिस्प्युट रेजुलुशन और एडवर्ड मीडिएशन एकेडमी, यूएसए के सहयोग से विन्सटीन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा आयोजित उन्नत मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित हुए और वर्ष 2018 में जकार्ता, इंडोनेशिया में पांचवी एशियन मीडिएशन एसोसिएशन सम्मेलन में भी उपस्थित हुए और मध्यस्थता प्रशिक्षण प्रदान करने में नई तकनीकों की जानकारी प्राप्त की तथा उक्त तकनीकों को भारत में विभिन्न स्थानों में समय समय से एमसीपीसी द्वारा प्रशिक्षकों के लिए आयोजित गहन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विभिन्न राज्यों से प्रशिक्षकों के साथ रिसोर्स व्यक्ति के रूप में शेयर किया गया।
उन्हें दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र, दिल्ली उच्च न्यायालय तथा इण्डिया इंटरनेशनल आर्बिटरेशन सेन्टर नई दिल्ली द्वारा आर्बिटेटर के रूप में पैनल में भी रखा गया।
उन्होंने रिसोर्स व्यक्ति के रूप में सम्मेलनों और सेमिनारों में भागीदारी की और विभिन्न विधिक विषयों अर्थात् साक्ष्य की छानबीन, ’बेलः अवधारणात्मक फ्रेमवर्क’, रिमांड के लिए विचारार्थ क्रियाविधि, पुनः जांच के लिए निर्देश, आगे की जांच, क्लोजर रिपोर्ट, बेल पर क्रियाविधि, सेशन में बांग्लादेश न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम - अपराधिक मामलों के ट्रायल की प्रक्रिया, संपत्ति के विरुद्ध अपराध, डीजेएस के नए नियुक्त अधिकारियों के लिए ’इंडक्शन कोर्स मॉक ट्रायल (सिविल)’, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के अधीन विधि, पद्धति और क्रियाविधि विषयों पर सत्रों में औद्योगिक न्यायधिकरण और श्रम न्यायालयों के अधीष्ठाता अधिकारियों के लिए अधिनिर्णय में जानकारी, कुशलता और प्रवृत्ति के समेकन पर सम्मेलन से संबंधित सत्रों के लिए राज्य न्यायिक एकेडमिक्स द्वारा आमंत्रित भी किया गया।