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श्री आई. एस. झा
सदस्य
(21 जनवरी 2019 से पदासीन हैं)

Shri I.S.Jha

श्री आई. एस. झा, केन्द्रीय विद्युत विनियामक आयोग में जनवरी, 2019 से सदस्य हैं। अपने मौजूदा कार्य से पूर्व, उन्होंने वर्ष 2015 से पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि., राज्य-चलित पारेषण प्रयोज्यता, के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में सफलतापूर्वक कार्य किया।

वे एनआईटी, जमशेदपुर से इलेक्ट्रीकल अभियंता, विद्युत क्षेत्र के सभी पक्षों, जैसे कि, उत्पादन, पारेषण, प्रणाली परिचालन, वितरण सहित ग्राहकों से संयोजकता तथा विनियामक पहलुओं में 38 वर्षों से अधिक का प्रचुर तथा विविध कार्य अनुभव रखने वाले विद्युत क्षेत्र के एक सुविख्यात व्यावसायिक हैं। उन्होंने वर्ष 1981 में एनटीपीसी में अपना व्यावसायिक जीवन आरंभ किया तथा वर्ष 1991 में पावरग्रिड में कार्यभार संभाला। तदुपरांत, उन्होंने जनवरी, 2019 में केविविआ में सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला। विविध परियोजनाओं तथा एनटीपीसी तथा पावरग्रिड के कॉर्पोरेट कार्यालयों में कार्य करते हुए वे राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के अवधारणीकरण, योजना, डिज़ाइन, अभियांत्रिकी, मॉनिटरिंग तथा कार्यान्वयन से जुड़े रहे। पर्यावरण हितैषी विकास के समर्थक, श्री झा ने पारेषण आधारभूत संरचना को समय पर आरंभ किए जाने को सुनिश्चित किया तथा क्षेत्र में दक्षता लाने के लिए ग्रिड के विकास हेतु तीव्र गति से कार्य किया।

उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर के साथ-साथ नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों के साथ एकीकृत, देश में सबल राष्ट्रीय ग्रिड के विकास का नेतृत्व किया। पारेषण क्षेत्र में व्यापक अनुभव के साथ, श्री झा ने राष्ट्रीय ग्रिड के अवधारणीकरण तथा कार्यान्वयन, पड़ोसी देशों के साथ सीमा-पार अंतःसंबंधों, लंबी दूरी के मल्टी-टर्मिनल एचवीडीसी पारेषण प्रणाली अर्थात् विश्व में अपने प्रकार के पहले 800 किलोवाट 6000 मेगावाट बिस्वनाथ चरियाली – आगरा एचवीडीसी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2016 के प्रारंभ में, बृहत्तम उच्च क्षमता एचवीडीसी बाईपोल चम्पा-कुरुक्षेत्र की योजना तथा उसका आरंभ, गतिशील विद्युत बाजार के विकास को संपन्न करते हुए उत्तर पूर्व पश्चिम क्षेत्र ग्रिड तथा दक्षिणी क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी तथा पश्चिमी क्षेत्रों के बीच उपलब्ध अंतरण क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना, भारतीय विद्युत क्षेत्र को उनके अभिनव मानक योगदानों में से हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सिंक्रोफेसर मापन, बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली, प्रगतिशील परिमाण आधारभूत संरचना तथा अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों सहित भारतीय विद्युत प्रणाली में स्मार्ट ग्रिड प्रौद्योगिकी के नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में, वाराणसी स्मार्ट ग्रिड परियोजना का कार्यान्वयन हुआ जिसका माननीय प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया।

विद्युत पारेषण में परियोजना प्रबंधन के अंतर्गत विविध चुनौतियों जैसे मार्गाधिकार मामले, पर्यावरण क्लीयरिंग समय पर प्राप्त करना, समय पर संविदा प्रदान करना, माइलस्टोन मॉनिटरिंग तथा विनियामक के समक्ष याचिकाएं दायर करना सम्मिलित हैं। श्री आई एस झा ने उक्त चुनौतियों के प्रबंधन में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। उनके नेतृत्व में, पावरग्रिड ने डिस्कॉम को संभव विकल्प प्रदान करने के लिए विद्युत बाजारों के एक संबल के रूप में कार्य किया।

वे “मेक इन इंडिया” प्रयासों के अंग के रूप में स्वदेशीकरण की ओर उभरती प्रौद्योगिकी तथा अन्य अग्रणी उपक्रमणों के प्रयासों तथा नवीन प्रौद्योगिकियों के परिचालित विकास के एक सक्रिय प्रस्तावक हैं, जैसे 1200 किलोवाट एसी प्रौद्योगिकी का विकास, भारतीय उत्पादकों के साथ सहयोग के माध्यम से विश्व में उच्चतम पारेषण वोल्टेज, 765 किलोवाट स्तर का ट्रांसफार्मर तथा रिएक्टर, 400 किलोवाट गैस इंसुलेटेड स्विचगियर (जीआईएस), दक्षता लाने के लिए भारतीय विद्युत प्रणाली में फैक्ट्स प्रौद्योगिकी जैसे एसवीसी, स्टैटकॉम, एफएससी+टीसीएससी का एकीकरण करना है। उन्होंने भारत में वीएससी आधारित एचवीडीसी प्रौद्योगिकी के नियोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आरजीजीवीवाई योजना के अंतर्गत ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यों के साथ-साथ एपीडीआरपी योजना पावरग्रिड को प्रदान की गई परियोजनाओं के डिज़ाइन तथा कार्यान्वयन के लिए वितरण प्रबंधन प्रणाली की टीम का भी नेतृत्व किया।

श्री झा, व्यापक अंतः एवं अंतर-राज्यिक पारेषण योजनाओं को कवर करते हुए हरित ऊर्जा कॉरिडोर के कार्यान्वयन द्वारा ग्रिड में नवीकरणीय उत्पादन के अवधारणीकरण एकीकरण, नवोन्नत प्रौद्योगिकी स्टैटकॉम के रूप में गतिशील प्रतिक्रियाशील क्षतिपूर्ति, नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केन्द्र की स्थापना, जो कि शुद्ध विकास की ओर नवीकरणीय उत्पादन के 175 गीगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, में एक प्रेरक शक्ति रहे हैं। उन्होंने वितरण आधुनिकीकरण योजनाओं, अंतिम मील संयोजकता आदि के कार्यान्वयन के माध्यम से विविध राज्यों में सभी कार्यक्रमों के लिए 24x7 विद्युत के कार्यान्वयन का भी परिचालन किया। वे विद्युत क्षेत्र के समग्र विकास के लिए नीति समर्थन के साथ-साथ मानकों के प्रतिपादन, निर्बाध पहुंच पर विनियमों से भी संबद्ध रहे। अपनी व्यावसायिक यात्रा के दौरान, वे विद्युत क्षेत्र से संबंधित आधारभूत विनियमों जैसे भारतीय विद्युत ग्रिड संहिता, आईएसटीएस में निर्बाध पहुंच, संयोजकता प्रदान करना, अंतर-राज्यिक पारेषण में दीर्घकालिक पहुंच तथा मध्यकालिक निर्बाध पहुंच, अंतर-राज्यिक पारेषण प्रभार व हानियों की शेयरिंग आदि के प्रतिपादन में भी सम्मिलित रहे हैं।

अनुसंधान और विकास के लिए, उनके द्वारा नवीन प्रौद्योगिकी पर कई पहल की गई हैं, जो कि अपने प्रकार की प्रथम हैं, जैसे कि 1200 किलोवाट यूएचवीएसी प्रणाली, विस्तृत क्षेत्र मॉनिटरिंग प्रणाली, स्मार्ट ग्रिड, उच्च ताप सुपरकंडक्टिंग तार, प्रोसेस बस आर्किटेक्चर सब-स्टेशन ऑटोमेशन प्रणाली आदि, जो कि देश में एक दक्ष तथा मितव्ययी विद्युत प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण साबित होगी।

वे अपने प्रौद्योगिक कौशल तथा जन-केन्द्रित नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं। वे सीपीआरआई, बेंगलुरु के अधिशासी निकाय के सदस्य तथा बृहत् इलेक्ट्रिक प्रणालियों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद् – भारत के अध्यक्ष, शीर्ष अधिशासी निकाय अर्थात्, सीआईजीआरई की स्थायी समिति – पैरिस तथा अन्य व्यावसायिक निकायों के सदस्य हैं। उनके बहुसंख्यक लेखों, विविध अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय जर्नलों / सम्मेलनों में विद्युत प्रणाली के क्षेत्र में 50 से अधिक तकनीकी दस्तावेजों को प्रकाशित / प्रस्तुत किया गया है। वे “रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी” तथा “स्मार्ट ग्रिड फंडामेंटल एंड एप्लीकेशंस्” नामक दो पुस्तकों में सहयोगी लेखक रहे हैं। श्री झा विद्युत प्रणाली के क्षेत्र में तकनीकी नवोन्मेषों के लिए पेटेंट्स हेतु भी प्रयासरत हैं।

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